
पंडित राम कृष्ण मिश्रा के साथ गौरव त्रिपाठी
ज्योतिषीय नज़र से देखिए वो कारण जिसने प्रभु श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम और रावण को ‘एक्स-पटाका पर्सनैलिटी’ बना दिया।
हमने दोनों की कुंडलियों की गहराई से MRI की है (ग्रहों की)। तो आइए, जानें ब्रह्मांड का न्याय कैसे हुआ।
कर्क लग्न वाले श्रीराम – स्वर्ग से भेजे गए ‘CEO ऑफ धर्म’
कुंडली में गुरु लग्न में उच्च का – Jackpot!
बृहस्पति (गुरु) कर्क लग्न में उच्च होकर चन्द्रमा से गजकेसरी योग बना रहा है। मतलब ये कि श्रीराम की पर्सनैलिटी में पावर+संस्कार+संयम की तिकड़ी थी।
शनि चतुर्थ भाव में उच्च – घर की रक्षा, लंका की भस्म!
शनि यहां गृहस्थ जीवन और भूमि की रक्षा करता है – यही कारण है राम का वनवास भी धर्म-रक्षा का ही हिस्सा बन गया।
षष्ठ (शत्रु) भाव में राहु – शत्रु मर्दन योग!
राहु यहां रावण जैसे शत्रुओं के दांत खट्टे करने के लिए बैठा था। ऊपर से शनि की दृष्टि ने “Destroy Mode” ऑन कर रखा था।
सप्तम में उच्च का मंगल – युद्ध में No Mercy!
यही मंगल रावण को युद्ध में “शुभ रात्रि” कहने वाला बना।
अब आते हैं – रावण: जिनकी कुंडली में ग्रह थे ‘Overqualified लेकिन Toxic’
लग्न में शनि और चन्द्रमा – Emotional Damage + Control Freak
चन्द्रमा शनि से पीड़ित = unstable मन। भले ही ज्ञान का भंडार हो, Decision-Making में गए काम से!

षष्ठ भाव में नीचस्थ बुध – बुद्धि पर भारी पड़ा अहंकार
शुक्र साथ में बैठा है, लेकिन बुध का डाउनग्रेड होना इस बात का संकेत है कि रावण की सलाहकार मंडली ‘Yes-Men’ से भरी थी।
पंचम भाव में राहु – ज्ञान पर छल का ग्रह भारी
यही कारण है कि रावण के सारे प्लान अंत में “FAILURE IS REAL” बनते गए।
ग्रहों का असर Vs कर्मों का फल – रामायण का असली मैसेज!
श्रीराम की कुंडली में कोई भी ग्रह नीचस्थ नहीं – मतलब आत्म-नियंत्रण, करुणा और धर्मप्रधानता। रावण के यहां ग्रह तो सब VIP थे, लेकिन बुद्धि और मन की दिशा गलत।
यही कारण है, एक रथ पर बैठा रावण, युद्ध में उन श्रीराम से हार गया जो नंगे पांव थे – लेकिन जिनकी कुंडली ने हर दिशा में धर्म की जयघोष की थी।
श्रीराम की कुंडली केवल राजा या योद्धा नहीं, धर्म के प्रतीक की थी। रावण, भले ही विद्वान था, लेकिन कुंडली की विषमताएं और गलत कर्मों ने उसे काल के ग्रास बना दिया।
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